चल चंदा उस देश.




                                       

                                          चल चन्दा उस देश..........






जहाँ भोर की लाली आकर चौबारे में खेले.

जहाँ महकती हवा फिजां में सारा प्यार उड़ेले.

हर बसंत में जहाँ कोयलिया आ कर डाले डेरा.

शाम ढले हौले से आ कर तू भी करे बसेरा.



                                       चल चंदा उस देश...........



जहाँ लोरियां सुन गोदी में अब भी मुन्ना सोये.

जहाँ आज भी प्यार पिता का सारे ग़म को धोये.

बचपन खोले जहाँ पंहुचकर यादों भरा झरोखा.

कदम-कदम पर जहाँ बरसता माँ का प्यार अनोखा.



                                           चल चंदा उस देश...........



जहाँ बाग में झुला झूले दुल्हन नई नवेली.

जहाँ रोज पनघट पर सखियाँ करती हों हठखेली.

जहाँ हया के बीच सिर्फ हो नयनो से दो बातें.

जहाँ मिलन की राजदार हों बस पूनम की रातें



                                             चल चंदा उस देश...........



औराई में जहाँ चहक कर बुलबुल गाये गाना.

जहाँ श्याम की मुरली कर दे राधा को दीवाना.

जहाँ बाग में भंवरे करते कलियों का आलिंगन.

जहाँ प्रेम में एक दूजे के सदैव दिखे समर्पण.



                                             चल चंदा उस देश...........



धरती चाहे जहाँ सदा ही आसमान को पाना.

जहाँ उफनती धरा कर दे सागर को दीवाना.

जहाँ पवन पुरवाई आ कर खिड़की से टकराए.

जहाँ लाज में डूबा चेहरा घूँघट में सरमाये.



                                                 चल चंदा उस देश...........



फूली सरसों चहुँ ओर दिखे हों हरे खेत खलिहान जहाँ.

बैलों का माथा सहलाते हल पकडे हुए किसान जहाँ.

ठंडी में सजें अलाव जहाँ हों हरदम हंसी ठिठोली.

नटखट शैतान नवेलों की हों उधम मचाती टोली.



                                                 चल चंदा उस देश...........



जहाँ अमन हों शांति दिखे जहाँ न अत्याचार हों.

धरती से अम्बर तक फैला जहाँ प्यार ही प्यार हों.

जाति धर्म भाषा का बंधन जहाँ लगे बेमानी.

जहाँ फ़र्ज़ के लिए हमेशा होती हो क़ुरबानी.



                                                चल चंदा उस देश...........



जय सिंह"गगन"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें