आओ सावन






वीरान जिंदगी का गुलशन,अब गीत प्यार का गाओ सावन.

आओ सावन,आओ सावन.



अलबेली सी अनजानी सी.

फिरती है बस दीवानी सी.

आतुर हिय राह निहार रहा.


मन पिय को रोज पुकार रहा.



इस बिरह में जलते तन मन को तुम बरसो और बुझाओ सावन.


आओ सावन...............




कलिओं पर चढ़ा शबाब यहाँ.

हैं खिलने को बेताब यहाँ.

मडराते भ्रमर कुमुदिनी पर.

मन मोहित हुआ कमलिनी पर.



भरकर फूलों को खुशबू से,इस आलम को महकाओ सावन.


आओ सावन.................




खोई है सोच विचारों में.

दुल्हन सोलह श्रृंगारों में.

दो नयन कर रहे दीवाना.


लव जैसे कोई मयखाना.





अधरों को अधरों पर रख कर,तुम सारा रस पी जाओ सावन.


आओ सावन.....................





पनघट पर नयी नवेली हो,

सखियाँ करती हठखेली हो.

झूले पड़ जाएँ गावों में.


छनके पायल हर पावों में.





तुम सब के मन के मीत बनो,हर नज़रों को बस भाओ सावन.


आओ सावन...................





जय सिंह "गगन"

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