गगन
दर्द
दिल का दर्द तराना बनकर,होठों तक तो आता है.
अश्कों की दरिया में डूबा,आँखों से बह जाता है.
मर जाते हैं छंद हमारे,घर की चार दीवारी में,
जब माँ की गोदी में बच्चा,भूखा ही सो जाता है.
जय सिंह"गगन"
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