शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

पढ़ाई अउ ध्यान.

बघेली कविता.
पढ़ाई अउ ध्यान.

कक्षा म मास्टर साहब गरजें,
का रे रमुआ,
तइ जउन कठउता भर,
खाइ कइ परे हसु,
का जउन हम सबक दिहे रहेन,
ओका करे हसु.
डेरातइ-डेरात रमुआ,
मास्टर क निहारिसि एक नज़र,
अउ धीरे से कहिसि-यस सर.
मास्टर साहब खुस होइ कइ कहिनि-
अच्छा त इहन आउ.
बीरबल के आही? हमका बताउ.
रमुआ सवाल सुनिसि.
कुछु मनइ-मन गुनिसि.
कहिसि-सर जब पढ़ेन तइ
तब लाग के चढ़ि ग.
पइ अपना के पुछतइ
एकदम दिमाग़ से उतरि ग.
मास्टर साहब ताउ म आईगें.
कहिनि-गदहा जिंदगी म
किताब देखु
तब न अक्षर पहिचानु.
पढ़ाई म थोरउ क ध्यान दे,
तब न एनका जानु.
ईया सुनिकइ रमुआ बोला-
सर हम गदहा हन,
ई मानित हइ.
पइ का अपनइ
रमेश औ महेश क जानित हइ?
मास्टर साहब बोलें-
हम मारब झापड़
हमका किहनी न बुझाउ.
ई ससू के आहीं
तहिनि बताउ?
रमुआ कुलुकि कइ कहिसि-
दिखेन न धइ गइ सगली चौहानी.
अरे अपने बिटिया पर
थोरउ क ध्यान देई,
त एनका जानी.


"गगन"

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