मंगलवार, 2 जुलाई 2013

बी.एड. त सब पर भारी हइ.

बघेली कविता.
बी.एड त सब पर भारी हइ.
हरी भरी कक्षा हइ सुंदर,निकही सजी अँटारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

सब अपने मर्ज़ी क मालिक,कुछु आइ रहें कुछु जाइ रहें.
कुछु कक्षा माही बईठे हँ,कुछु अगल-बगल लहराइ रहें.
कुछु बड़े सकन्ने से आमा,कुछु जाँ गोधुली बेला मा.
कुछु सटे पछीती बइठे हँ,कुछु खड़े पान के ठेला मा.

दिन भर देबिनि के पूजा मा हर लरिका बना भिखारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

कुछु सल्ट पैंट उज्ज़र-बज्ज़र,कुछु रंग-बिरंगी सारी हँ.
कुछु नवा-नवेला छउना हँ,कुछु नर कुछु सुंदर नारी हँ.
हेड मुरलीधर बृंदावन क,कुछु उधौ अउर सुदामा हँ.
कउनउ हँ पूतना माई कस,कउनउ लोचन अभिरामा हँ.

जेठउ म हरिअरी छाई हइ,माहौल अमंगल हारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

कुछु हमा पधारे कुर्सी पर,कुछु फिल्मी धुन मा गाइ रहें.
कुछु मुरलीधर के डब्बी से,बस काढ़ी कुलींजन खाइ रहें.
मास्टर बाबू सब चाहत हँ,बस रंग जमाई बी. एड. मा.
गुरुदल मा मची खलबली हइ, हम जाइ पढ़ाई बी. एड. मा.

कुछुअन के खातिर बी. एड. क ई,कक्षइ प्राण अधारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

उ पढ़े हँ कउनउ अउर विषय,बी.एड. मा कूछो पढ़ावत हँ.
सूरदास कारी कामरि पर,कउनउ रंग चढ़ावत हँ.
कुछु खाइ टिफिन लरिकहरिनि क,गदहा कस पचके-फूले हँ.
कुछु मुरलीधर के काँधे म,बैताल सरीखे झूले हँ.

हइ प्राइवेट नौकरी तबउ, जलवा एनकर सरकारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

बी. ए. अउर बी.एस.सी.वाले,लरिका हमा निहारे सोचा.
कब सूरज पच्छिउँ म निकरी,प्रभु अइहीं एंह द्वारे सोचा.
कतनउ इहन महीना बीता,कबउ न फ़िरिकइ झाकिनि.
घंटन बी. एड. माही घुसिकइ,सेतिउ-मेति क फाकिनि.

जइसइ रघुराई क ताके लंका म जनक दुलारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

हँ लूंज-पुंज कुछु बॉल सखा,जे मनई देखि कइ भागत हँ.
हँ अइसन जइसइ सूरदास,कब सोबत हँ कब जागत हँ.
बीचइ म शोभित गुरु वशिष्ट,हइ जटा-जूट लहराइ रही.
कोने म सकुड़ी अरुंधती,बस मंद-मंद मुस्काई रही.

एंह जनक नंदिनी के आगे,लंका पति बना भिखारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

कुछु कहत हँ ईमली क आमा,कुछु एकदम ख़ासमखास बने.
भीष्म पितामह बी. एड. क,ज्वाइन कइ तुलसी दास बने.
कक्षा लागइ सिंधु घाटी,मृत भांड पढ़ामा पाठ रोज.
घंटा दूई घंटा बाति करा,गोपिनि से जोरा गाँठि रोज.

हइ लका-लक्क सब सूट-बूट,माथे चंदन कइ धारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

नई नवेली गोपिनि क हँ रण्ड-मुण्ड पछियान ससू.
इहन महट्टर पुँछत हँ जोड़ा तउ हबइ लुकान ससू.
रस-गोरस मुरलीधर लइगे,रितई दोहनि लटकाई हइ.
ग्वालन क छाछि धराइ कहीनि, ले चाटा ससू मलाई हइ.

जमुना कइ काली दह पैरत,बस एकइ कृष्ण मुरारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

गहन अध्ययन बिती चला,हइ सूक्ष्म अध्ययन जारी.
अब जईहीं त कबउ न मिलिहीं,पुनि कइ प्राण पियारी.
कान्हा बहती जमुना माही,हान्थ मज़े से धोमा.
उधौ अउर सुदामा बपुरू,फफकि-फफकि कइ रोमा.

"गगनउ" के लाने हइ छाई, अब भादौ कस अंधियारी हइ.
बी.एड. त सब पर भारी हइ,बी.एड. त सब पर भारी हइ.

जय सिंह"गगन"

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