बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

परिवर्तन.



खामोशी की चादर ओढ़े,
कदम मेरे लाचार हो गए.
उनके जब भी होठ हिले तो,
वो बहुमूल्य विचार हो गए.
हम अपनी दृढ़ता पर कायम,
लटक रहे औराई में,
एक हवा के झोके में ही,
वो गिर गए अचार हो गए.
"गगन"

रविवार, 14 अक्तूबर 2012

जिंदगी हिसाब मांगती है.



 कविता
   जिंदगी हिसाब मांगती है.

वक्त जो गुजर चुका जबाब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.
       है जिगर दहल रहा
      खलबली मची यहाँ.
     तन तो है पिघल चुका,
     रूह बस बची यहाँ.
 अब तलक जो ढल चुका शबाब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.
      सो रहा था ये जहाँ,
     आँख जागती रही.
     कारॅवा था रुक गया,
     साँस भागती रही.
 चूर-चूर हो चुका जो ख्वाब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.
      उजड़ चुका चमन जो आज,
    फिर से सज रहा यहाँ,
    बेसुरा अजीब सा,
    गीत बज रहा यहाँ.
 वादियाँ वो खुश्बू-ए-गुलाब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.
     थी असीम चाहतें,
    एक भी मिली नहीं.
    इंतज़ार रह गया,
    पर कली खिली नहीं.
 खिली हुई धूप आफताब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.
     है जलधि समीप पर,
    प्यास तो बची नहीं.
    अब गुबार है बचा,
    आस तो बची नहीं.
 फिर वही जूनून वो रुआब मांगती है.
जिंदगी हरेक से हिसाब मांगती है.

                   जय सिंह "गगन"

आइना तो आइना है.


कविता             
आइना तो आइना है.........

ढलती उम्र की दहलीज पर, 
कदम रखते ही,
जिंदगी के अनुभवों को सुनाना,
जन्म लेती नई पीढ़ी को, 
नैतिकता का पाठ पढ़ाना,
बेशक तुम्हारी महत्वाकांक्षा को, 
नया मोड़ देगा,

पर आईना तो आईना है, 
यह सारे मिथक तोड़ देगा.
  
रोजगार की तलाश में घूमती,
नव चेतन की आत्माएं,
दफ्तरों को अपना निशाना बनायेंगी.
खुद्दारी और नैतिकता की तालीम,
कदम-कदम पर परखी जाएगी.
भूख से तडपता नौनिहाल,
तुम्हें अन्दर तक निचोड़ देगा.

पर आईना तो आईना है, 
यह सारे मिथक तोड़ देगा.
  
नित्य प्रति बढ़ते दहेज़ के ग्राफ से,
हमारी आरती उतारी जायेगी.
बढती महगाई के बोझ तले,
बालिकाएं तो, 
भ्रूण में ही मारी जाएँगी.
आधुनिकता में जी रहा समाज,
कन्यादान की, 
आस छोड़ देगा.

पर आईना तो आईना है, 
यह सारे मिथक तोड़ देगा.

लाइलाज बीमारी से ग्रस्त, 
लक्ष्मण के लिए भगवान राम, 
रो रो कर दवा मांगेगे.
लंका में सोये शुखेन से हनुमान,
प्रदूषण मुक्त हवा मांगेगे.
असह्य वेदना से कराहता पर्वतराज,
पवनपुत्र को,
कैंसर और कोढ़ देगा,

पर आईना तो आईना है, 
यह सारे मिथक तोड़ देगा.

"गगन"