अनुनय-विनय
हे गणपति दुःख-हर्ता सुन लो,सबके मंगल-कर्ता सुन लो,
खुशियाँ हैं,लाचारी
भी हैं,किंचित विनय हमारी भी है,
करो प्रफुल्लित जन जीवन को,महगाई से टूटे मन को,
भूख हरो बेगारी हर लो, सारी भ्रष्टाचारी हर लो,
अत्याचार मिटाने आओ,सच्चा मार्ग दिखाने आओ,
देश बने फिर न्यारा प्रभु जी,फैले भाईचारा प्रभु जी,
एक देश हो नेक रीति हो,पाक साफ़ फिर राजनीति हो,
सबको सत्य वचन से भर दो,हर ग़रीब को धन से भर दो,
प्रथम-पूज्य हे गणपति-बप्पा बिनती यही हमारी प्रभु जी.
उम्मीदों का दामन थामें आया शरण तुम्हारी प्रभु जी.
जय हो वक्र-तुंड की, जय हो महाकाय विघ्नेश की.
जय हो प्रथम पूज्य प्रभुवर की,गौरी-पुत्र गणेश की.
शत-शत चरण वंदन प्रभु जी,
“गगन”
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें