कविता
बस में सिगरेट पीते लड़के पर,
एक महिला ने अपना गुस्सा उतारा,
उसके गाल पर
जोरदार थप्पड़ मारा,
बोली-वैसे तो मुझे इसके लिए खेद है.
पर मिस्टर उधर देखो
लिखा है-"धूम्रपान निषेध है"
लड़का सन्न रह गया.
अपना सारा गुस्सा
मन ही मन सह गया.
वैसे यह सीधा उसकी इज़्ज़त पर वार था.
पर क्या करे
अपनी ग़लती पर शर्मसार था.
इतने में महिला की नन्ही बच्ची रोई.
वह उसे लोरियाँ सुनाकर बहलाने लगी.
गोद में उठा कर दूध पिलानी लगी.
लड़के की बा छे खिल गई.
उसे बदला लेने की तरकीब मिल गई.
उसने आव देखा न ताव
तुरंत ही कर्ज़ को भर दिया.
महिला के गाल पर टडाक से,
एक थप्पड़ रशीद कर दिया.
बोला-मेडम बात्तमीज़ी के लिए क्षमा.
इसे अन्यथा न लें.
वहाँ देखिए क्या लिखा है-
"शरीर का कोई भी अंग बाहर न निकालें"
जय सिंह "गगन"
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