हॉस्टल से बिदाई के वक्त लिखी गई यह कविता सदर आपको समर्पित है .कृपया
जरुर पढ़ें.
क्यों परेशान तूँ यार बहुत.
मैं करता तुझसे प्यार बहुत.
मैं सच्चे झूंठे वादों में .
मै हरदम तेरी यादों में.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
मै सिगरेट के हर कास में हूँ.
मैं ऑटो रिक्शा बस में हूँ.
ठंडी गर्मी मधुमासों में.
मै खाली भरी गिलासों में.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
हर आने जाने वालों में.
मै स्वागत पाने वालो में.
मै डर से सहमी नज़रों में.
हर पुष्पहार हर गजरों में.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
हर नाश्ते घी की चोरी में.
मै खुलती बंद तिजोरी में.
कुछ करने की अभिलाषा में.
मै छेड़छाड़ की भाषा में.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
रातों की मार पिटाई में.
मै हर एक छोटे भाई में.
हर कमरे में हर खाने में.
मै बाथरूम के गाने में.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
तन की दुरी क्या दुरी है .
इसका जाना मज़बूरी है.
तूँ नजर उठा के देख सही.
मन बसता मेरा वहीँ कहीं.
तूं कहाँ खोजता है मुझको.
हॉस्टल से बिदाई के वक्त लिखी गई यह कविता सदर आपको समर्पित.
कृपया होस्ट्लर जरुर पढ़ें.
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