शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

ताज़ी हवा


                कविता
          

सुबह-सुबह नास्ते की टेबल पर

बैठते ही बेटा

कुछ बुदबुदाने लगा.

अपनी प्लेट कटोरी आदि लेकर

बाहर जाने लगा.

हमने पूछा-बेटा यह सुबह-सुबह

क्या गुनगुना रहे हो.

और यह सब ले कर

कहाँ जा रहे हो.

बेटा बोला-पापा,

मैं स्कूल का होमवर्क दोहरा रहा हूँ.

सर ने कहा था,

सुबह-सुबह ताज़ी हवा खानी चाहिए

इसलिए यह सब लेकर

बाहर जा रहा हूँ.

           जय सिंह "गगन"

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