शनिवार, 28 जनवरी 2012

साक्षात्कार





कविता

पढ़कर अखबार का इश्तहार

दो होनहार

अनुभवहीन,

अपनी धुन में लीन,

साक्षात्कार देने पंहुचे.

पहले का नौकरी मिलना श्योर था.

पर दूसरा पढने में कमजोर था.

लिहाजा दुसरे ने पहले से कहा-

यार तूँ तो स्कूल की शान था,

पहले से ही बुद्धिमान था,

मेरी भी नैया पार लगा दे.

क्या पूंछेगे कुछ मुझे भी बता दे.

पहले ने कहा-छोड़ यार

क्यूँ दिमाग खपाता है.

घंटे भर पहले से क्यूँ घबराता है.

मेरे अन्दर आते ही

तूँ धीरे से आना.

और वहीँ पर गेट से सट जाना.

मैं जो भी अन्दर जबाब दूंगा उसे रट जाना.

बस उसके बाद सारा टेंशन हटा देना

अन्दर जब पूंछें बता देना.

इतने में शुरू हुआ सिलसिला

पहले को अन्दर जाने का परमीशन मिला.

दूसरा उसके बताये अनुसार जबाब सुनने लगा.

उसमे से अपना उत्तर चुनने लगा.

प्रश्न था-भारत में अंग्रेजों की नीव कब हिली?

देश को आज़ादी कब मिली?

उत्तर था- सन ४२ में शंखनाद हुआ

तब जा कर

सन ४७ में देश आज़ाद हुआ.

प्रश्न था-ठीक है आगे आइये.

इस जंग में शहीद हुए लोंगों के नाम बताइए.

उत्तर था-सर इनकी संख्या बेशुमार है.

किसी एक का नाम लेना बेकार है.

अंतिम प्रश्न-वैसे तो हम सभी मंगल को,

पृथ्वी का जुड़वाँ भाई मानते हैं.

पर क्या वहां जीवन है

इसके बारे में आप क्या जानते है?

उत्तर था-सर हमने यान भेजे हैं,

अब मानव की बारी है.

जीवन के अस्तित्व की खोज जारी है.

इतने में बजर दबाया गया,

दुसरे को अन्दर बुलाया गया.

कमेटी मेंबर बोले-दिखने में तो आप स्मार्ट हैं,होनहार हैं.

क्या प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार हैं?

अब तक दुसरे का दूर हों चूका था डर,

तपाक से बोला यस सर,

कमेटी मेंबर बोले-बैठ जाइये,

आपका जन्म कब हुआ बताइए?

लड़का बोला-सर प्रक्रिया शुरू हुई सन ४२ में,

आज़ाद हुआ सन ४७ में.

मेंबर बोले-मिस्टर होश में आइये ,

अपने पिता का नाम बताइए?

लड़का बोला -सर इनकी सख्या बेशुमार है.

किसी एक का नाम लेना बेकार है.

कमेटी मेंबर बोले-क्या बेवकूफी ने तुम्हारी मति मारी है?

लड़का बोला-सर खोज अभी जारी है.


जय सिंह "गगन"

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