वो देता हैं मुझे नसीहत हँसने और हंसाने की.
जिसने दिल में दाब रखी है सारी टीस जमाने की.
एक शख्स जो आज शहर में मय का प्रबल विरोधी है,
कल तक वो पी जाता था मय मेरे भी पैमाने की.
एक अधूरी कोशिश की है आँखों को समझाने की.
एक हवा के झोंके जैसा वो आया और चला गया,
हसरत दिल में दबी रह गयी उसको गले लगाने की.
जिसने सारी उम्र गुजारी यहाँ भूख से लड़ने में,
उससे पूछो क्या होती है कीमत दाने दाने की.
एक भूल ने जोड़ दिया है उम्र तलक तन्हाई से,
जो भी मिलता उससे करते चर्चा उस अफ़साने की.
परवाने का दीवानापन जब-जब हद से पार हुआ,
जलकर शमां ने कोशिश की हैसदैव उसे जलाने की.
कुछ ग़ज़लों का मरहम रखकर उसके ताजे घावों पर,
एक पहल यह भी करते हैं हम उसको समझाने की.
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